इस प्रश्न के जवाब को जानने के लिए पहले दोनों देशों के एजुकेशन सिस्टम को देखते है |
- अमेरिका - पूरी तरीके से डिजिटल पढ़ाई । लैपटॉप पर होमवर्क ।
- हमारे यहां तो बच्चे के वजन से ज्यादा उसका बस्ते का वजन है ।
- एक अमेरिकी हाईस्कूल का लड़का आपको मैक्डोनल्ड में काम करते हुए मिल जाएगा , भले ही वो कितने रईस घराने से क्यों ना हो ।
ये पूर्व अमेरिकी प्रेसिडेंट ओबामा की बेटी है ।
- अमेरिका में बहुत ही छोटी उम्र से ही बच्चो को आत्मनिर्भर बन दिया जाता है ।
यहां तो बच्चा कक्षा दसवी से ही सुबह का पूरा दिन स्कूल में बीतता है और शाम को आईआईटियन बनने की फैक्ट्री में ।
और सबसे बड़ी बात -
अमेरिका में माता पिता NEET IIT और UPSC के आलावा भी बहुत सारे काम जानते हैं ।
वहां जिसे पेंटिंग करना होता है वो पेंटिंग करता है ।
यहां जिस बच्चे को पेंटिंग का शौक होता है वो आईआईटी करता है ।
पैसा तभी कमा पाएंगे जब आपको वो काम करने में मज़ा आए ।
यहां तो नींव ही कमजोर है , इमारत क्या खाक टिकेगी ?
भारत की आज कि शिक्षा प्रणाली लॉर्ड मैकाले की देन है । उस समय अंग्रेज़ भारितयो को ही ये रटने वाले विषय पढ़ा कर क्लर्क आदि छोटे- मोटे नौकरियों के लिए तैयार करते थे क्योंकि ब्रिटेन से लोगो को लाना बहुत महंगा साबित होता था ।
उस समय से ही इतिहास , कला , साइकोलॉजी आदि तमाम विषय मुख्य भूमिका से अलग हो गए , और आज भी लोग इन विषयों को नहीं लेते ( और माता - पिता ना ही लेने देते है )
यही शिक्षा प्रणाली आज तक चली आ रही है । और लोगो की सोच आगे नहीं बढ़ पा रही है ।
नोट - ये मेरे स्वयं के विचार है ।
अपना समय देने के लिए धन्यवाद !
जय हिन्द !
Article Source - quora





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