BSW भीकनगांव के छात्रों द्वारा अपने अपने गांव में तथा स्कूलों में वृक्षारोपण किया गया।
वृक्ष हमारे लिए कई प्रकार से लाभदायक होते हैं| जीवों द्वारा छोड़े गए कार्बन डाइ-ऑक्साइड को ये जीवनदायिनी ऑक्सीजन में बदल देते हैं| इनकी पत्तियों, छालों एवं जड़ों से हम विभिन्न प्रकार की औषधियां बनाते हैं| इनसे हमें रसदार एवं स्वादिष्ट फल प्राप्त होते हैं| वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं| इनके छाया में पशु-पक्षी ही नहीं, मानव भी चैन की सांस लेते हैं| जहां वृक्ष पर्याप्त मात्रा में होते है, वहां वर्षा की मात्रा भी सही होती है|वृक्षों की कमी सूखे का कारण बनती है| वृक्षों से पर्यावरण की खूबसूरती में निखार आता है| वृक्षों से प्राप्त लकड़ियाँ भवन- निर्माण एवं फर्नीचर बनाने के काम आती है| इस तरह, मनुष्य जन्म लेने के बाद से मृत्यु तक वृक्षों एवं उनसे प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार की वस्तुओं पर निर्भर रहता है| कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने पेड़-पौधों के महत्व को समझते हुए कहां है की पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास है ये पेड़|
वृक्षों से होने वाले इन्ही लाभों के कारण मनुष्य ने इनकी तेजी से कटाई की है| औद्योगिक प्रगति एवं वनोंमूलन इन दोनों के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो गया है| वृक्ष पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहायक होते हैं| मनुष्य अपने लाभ के लिए कारखानों की संख्या में वृद्धि करता रहा, किंतु उस वृद्धि के अनुपात में उसने पेड़ों को लगाने की ओर ध्यान ही नहीं दिया, इसके विपरीत उसने जमकर उनकी कटाई की|
इसके कुपरिणामस्वरुप पृथ्वी का पर्यावरण असंतुलित हो गया है| वृक्षारोपण पर्यावरण को संतुलित कर मानव के अस्तित्व की रक्षा करने के लिए आवश्यक है| एक मेज, एक कुर्सी, एक कटोरा फल और एक वायलन; भला खुश रहने के लिए और क्या चाहिए| विश्व के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने इस विचार को जिन महत्वपूर्ण चीजों से जोड़ा, उनमें से प्रत्येक चीज का पेड़ पौधों से संबंध होना इनकी उपयोगिता को दर्शाता है|
अत: हमें अपने और पर्यावरण के हितेषी
पेड़-पौधों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए| उन्मूलन के कारण पिछले कुछ
वर्षों में जलवायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई है| सामान्य मौसमी
अभिवृत्तियों में किसी खास स्थान पर होने वाले विशिष्ट परिवर्तन को जलवायु
परिवर्तन कहा जाता है| मौसम में अचानक परिवर्तन, फ़सल-चक्र का परिवर्तित
होना, वनस्पतियों की प्रजातियों का लुप्त होना, तापमान में वृद्धि, हिमनदों
का पिघलना तथा समुद्री जलस्तर में लगातार वृद्धि ऐसे सूचक है, जिनसे
जलवायु परिवर्तन की परिघटना का पता चलता है|






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